
US Deportation: अमेरिका से डिपोर्ट हुए कुरुक्षेत्र के रॉबिन हांडा के पिता ने बताया कि कैसे उनका बेटा जंगलों से होते हुए कई दिनों तक भूखा रहकर मैक्सिको-अमेरिका सीमा तक पहुंचा था.
US Deportation: उज्ज्वल भविष्य और बेहतर जीवन का सपना संजोए हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के युवा अमेरिका से निकाले जाने के बाद चेहरे पर मायूसी और टूटे सपनों के साथ अपने-अपने घर लौट आए हैं. ये वही युवा हैं जिनके पिताओं ने अपने बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए अपनी जमीनें बेच दी थीं तो मांओं ने अपने गहनों की बलि दी थी.
कनपटी पर बंदूक रखकर हुई वसूली
अमेरिका में दाखिल होना इतना आसान न था. उन्होंने उफनती नदियों और भयानक जंगलों को पार किया और इस दौरान उनसे कहीं कनपटी पर बंदूक रखकर जबरन वसूली की गई तो कहीं लात-घूंसे भी खाने पड़े. अमेरिका में बसने का उनका सपना उस समय दुःस्वप्न में बदल गया, जब अमेरिकी अधिकारियों ने उनके हाथों में हथकड़ी लगा देश से निकाल दिया.
भयानक जंगलों को पार किया
रॉबिन हांडा (27 साल) के पिता मंजीत सिंह अपने बेटे की इस दर्द भरी दास्तां को बयां करते हुए कहते हैं कि उनका बेटा गुयाना, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, इक्वाडोर और ग्वाटेमाला से गुजरता हुआ, समुद्र पार करता हुआ और जंगलों से होते हुए कई दिनों तक भूखा रहकर मैक्सिको-अमेरिका सीमा तक पहुंचा था.
रॉबिन ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी. वह पिछले साल 18 जुलाई को कुरुक्षेत्र जिले के अपने पैतृक गांव इस्माइलाबाद से निकला था और जब वह अमेरिकी सीमा पर पहुंचा तब तक वह विभिन्न लोगों को 45 लाख रुपये का भुगतान कर चुका था. रॉबिन के पिता ने दावा किया कि उनके बेटे का मोबाइल फोन भी छीन लिया गया था. मंजीत सिंह ने कहा, “उसे (रॉबिन) मैक्सिको में आव्रजन माफिया को सौंप दिया गया और उन्होंने पैसे के लिए उसे प्रताड़ित किया. यहां उसने उन्हें 20 लाख रुपये दिए.”
ट्रैवल एजेंट पर झूठ बोलने का आरोप
रॉबिन के पिता ने बताया कि उनका बड़ा बेटा पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया गया था और छोटा बेटा अमेरिका जाने पर अड़ा था. बेटों के विदेश में जाकर कमाने से आर्थिक स्थिति बेहतर होने का सपना टूट चुका है. मंजीत सिंह अब ट्रैवल एजेंट पर उनके बेटे को अमेरिका में बसाने का झूठा वादा करके उन्हें धोखा देने का आरोप लगाते हैं.
रॉबिन उन 104 भारतीयों के पहले समूह में शामिल था, जिन्हें अमेरिका ने निर्वासित किया है. अमेरिकी सेना का एक सी-17 ग्लोबमास्टर विमान इन अवैध प्रवासियों को लेकर बुधवार (5 फरवरी 2025) को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था. इन अवैध प्रवासियों में से हरियाणा और गुजरात से 33-33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन और चंडीगढ़ से दो लोग थे. कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक वरुण सिंगला ने बताया कि निर्वासित लोगों में से 33 हरियाणा से हैं, जिनमें से 14 लोग कुरुक्षेत्र जिले के हैं.जिले के चम्मूकलां गांव के रहने वाले खुशप्रीत सिंह (18) ने अमेरिका पहुंचने के लिए 40 लाख रुपये खर्च किए.
रॉबिन का परिवार कर्ज के बोझ तले दबा
उनके पिता जसवंत सिंह ने अपनी खेती की जमीन गिरवी रखकर पैसे का इंतजाम किया था. उन्होंने बताया, “करीब 15 दिन पहले हमें खुशप्रीत का फोन आया कि वह अमेरिका की सीमा पर पहुंच गया है और जल्द ही उसे पार कर जाएगा. इसके बाद हमारा उससे संपर्क टूट गया.” परिवार को उसके निर्वासन के बारे में तब पता चला जब वह अमेरिकी सैन्य विमान से अमृतसर पहुंचा. हालांकि खुशप्रीत के सुरक्षित घर पहुंचने से परिवार को राहत मिली, लेकिन परिवार कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है और उसका भविष्य अंधकारमय है.
बुधवार रात को अपने गांव लौटे अंबाला के 28 वर्षीय निर्वासित व्यक्ति ने अमेरिका की यात्रा के दौरान हुई अपनी परेशानियों को साझा किया. नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि उनके परिवार ने उनकी अमेरिका की यात्रा के लिए 40 लाख रुपये खर्च किए थे.
उन्होंने बताया कि पैसे का इंतजाम खेती की जमीन का एक हिस्सा बेचकर किया गया था, लेकिन यह सफर आसान नहीं था. एजेंट ने उन्हें डंकी रूट से होते हुए कई नदियों और जंगलों को पार करके अमेरिकी सीमा तक पहुंचाया. हालांकि, 15 दिन पहले वह अमेरिकी सीमा पर पकड़ा गया. उन्होंने युवाओं को सख्त सलाह दी कि वे विदेश जाने के लिए कोई भी अवैध तरीका न अपनाएं.