शिक्षा विभाग से नाराज़ कर्मचारियों ने भरी हुंकार | दो दिनों में आदेश वापस हो नहीं तो काम बंद करने की चेतावनी
मुजफ्फरपुर में शिक्षा विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मियों ने किया विरोध:

मुजफ्फरपुर में शिक्षा विभाग के आउटसोर्स कर्मियों का आक्रोश फूट पड़ा है। लगभग 300 कर्मियों ने कहा कि यदि दो दिनों में सेवा समाप्ति का आदेश वापस नहीं लिया गया, तो वे काम बंद कर देंगे।
कर्मियों ने कहा कि दो दिनों में आदेश वापस नहीं हुआ तो कर्मी काम करना बंद करेंगे। पूरे राज्य के कर्मी इस निर्णय पर अमल करेंगे। सोमवार को जिला स्कूल मैदान में डीपीएम, बीपीएम समेत अन्य पदों पर बहाल कर्मियों ने बैठक कर यह निर्णय लिया। शिक्षा विभाग में वर्तमान में जिले से लेकर प्रखंड स्तर पर आउटसोर्स से कर्मी बहाल हैं। कार्यालय के काम से लेकर शिक्षा विभाग के अलग-अलग कामों में इन्हें लगाया गया है। कर्मियों ने कहा कि बीपीएम, बीआरसी, डाटा ऑपरेटर, प्रोग्रामर, डीपीएम, आईसीटी प्रोग्राम समेत अन्य पदों पर हमारी बहाली की गई। अब कहा जा रहा है कि 31 मार्च तक हमें हटा देना है। कर्मियों ने कहा कि अब सारे काम ऑनलाइन होते हैं और उसमें कहा जा रहा कि हमें अब नहीं रखना है। कर्मियों ने कहा कि अगर आदेश वापस नहीं हुआ तो पूरे राज्य में हम सभी काम बंद कर देंगे। इससे विभाग को शायद पता चले कि हम क्या काम कर रहे हैं। अपर मुख्य सचिव के वीसी में दिए गए इस आदेश के बाद से कर्मियों का आक्रोश फूट पड़ा है। कर्मियों ने कहा कि कोई पदाधिकारी बहाली का निर्णय देते हैं और कोई हटाने का आदेश।
कर्मचारियों का मुख्य विरोध 31 मार्च 2025 को उन्हें सेवा से हटाने के आदेश को लेकर है। प्रेस वार्ता में जेडी यादव ने कहा कि वे बीपीआर पदों को आउटसोर्सिंग से सरकारी संविदा में बदलने और लंबित वेतन के भुगतान की मांग कर रहे हैं। शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग से बहाल कर्मियों की नौकरी खतरे में है.क्योंकि विभाग ने इन कर्मियों के सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया है.आउटसोर्सिंग से बहाल कर्मी 31 मार्च से कार्यमुक्त हो जायेंगे. राज्य शिक्षा परियोजना परिषद ने इन कर्मियों से 31 मार्च के बाद कार्य नही लेने का आदेश डीईओ को दिया है.इन्हे एजेंसी के माध्यम से शिक्षा विभाग में विभिन्न कार्यों के लिए रखा गया था. अब इनसे विभाग अब काम नहीं लेने का निर्णय लिया है. अब डीपीएम आइसीटी, डीपीएम, प्रोग्रामर, एकाउंट सहायक, एमटीएस जैसे कई पदों पर बहाल हुए कर्मी से आगामी पहली अप्रैल से कार्य नहीं लिया जाएगा. राज्य शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्यरत वैसे व्यक्ति जिनकी सेवा की अवधि निर्धारित नहीं है, उसके संबंध में अधिकतम 31 मार्च 2025 तक सेवा प्राप्त किया जाये. इस पत्र से कर्मियों में मायूसी देखी जा रही है. इसके पहले भी प्रखंड स्तर पर एजेंसी से रखे गए कुछ कर्मियों को हटाया जा चुका है.शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में विभिन्न कार्यों के लिए एजेंसी व्यवस्था लाया था. आउटसोर्सिग से बहाल कर्मियों में आक्रोश आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य कर रहे लोगों को उनके पद से हटाने की घोषणा के बाद आउटसोर्सिंग कर्मियों में असमंजस की स्थिति बनी है.कर्मियों में आक्रोश देखा जा रहा है. जिस कंपनी के माध्यम से हम सभी लोग कार्यरत हैं,उस कंपनी द्वारा किए गए एकरारनामा के मुताबिक 1 अगस्त 2023 से 1 अगस्त 2026 तक हमारा कार्य अवधि है.वही एकरारना में आपसी सहमति से दो वर्ष अतिरिक्त कार्य अवधि बढ़ाने का भी जिक्र किया गया है.कर्मियों ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किन कर्मियों को हटाया जाएगा तथा किन कर्मियों को आगे भी काम करने का मौका मिलेगा. क्या कहते है,अधिकारी राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक स्तर से आउटसोर्सिंग से रखे गए कर्मियों से आगामी 31 मार्च तक ही काम लेने का आदेश जारी किया गया है.निदेशक के पत्र आलोक में जिले में ऐसे दर्जनों लोग प्रभावित होंगे.फिलहाल जारी पत्र के अनुसार पहली अप्रैल से इनसे काम नहीं लिया जाना है. इससे कार्य प्रणाली में कुछ परेशानी होगी.जिसे दुरुस्त करने का प्रयास किया जायेगा !